अभिनव फल-कथन – भाग – 1
मूल्य: Rs. 150 (E-Book) / Rs. 250 (Paperback)
विषय सूची
- प्रस्तावना
- ज्योतिष एक दृष्टि है
- पञ्चाङ्ग
- कुण्डली – भाव, केन्द्र, त्रिकोण, त्रिकोण एवं राशियां, प्रथम केन्द्र, द्वितीय केंद्र, तृतीयकेंद्र, चतुर्थ केंद्र
- ग्रहों के प्रभाव – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि
- राशियों के गुणधर्म – अग्नितत्त्व, भूमि तत्त्व, वायु तत्त्व, जल तत्त्व, राशियां एवं ग्रह, ग्रहों की नैसर्गिक मैत्री, तात्कालिक मैत्री, पंचधा मैत्री
- ग्रहों के प्रभाव- खगोलीय समझ – उच्च की गणितीय अवधारणा, पृथ्वी के सापेक्ष उच्च-नीच, कोणीय दूरी, रेखीय दूरी
- वर्ग कुण्डलियाँ – वर्ग कुण्डली, द्रेष्काण, नवमांश
- नवमांश के हरिपद – नवमांश के हरिपद, नवमांश हरित्रै, परिवर्तन का विधान, मेष राशि के हरित्रै, परिवर्तन की अवधारणा, हरित्रै के अनुसार प्रभाव
- शेष राशियों के हरिपद – मेष राशि, वृष राशि, मिथुन राशि, कर्क राशि, सिंह राशि, कन्या राशि, तुला राशि, वृश्चिक राशि, धनु राशि, मकर राशि, कुम्भ राशि, मीन राशि
- कुण्डली का नवस्वरूप – जन्म कुण्डली, भाव स्पष्ट, द्रेष्काण कुण्डली, नवमांश कुण्डली, कुण्डली की नव-विधा
- कुण्डली विश्लेषण – विश्लेषण के आधार भूत तत्त्व
- स्पष्टीकरण-1 – जन्म-भाव-नवमांश कुण्डली, ग्रह स्थिति समझ, भावों के आधार पर फल कथन, ग्रहों के प्रभाव
- स्पष्टीकरण-2 – भावों की समझ, भाव में राशि वृद्धि, भावों में राशि क्षय, ग्रहों की भाव से दूरी के अनुपात मे फल, क्षय राशि में ग्रहों की विशेष समझ
- निष्पत्ति