ज्योति पुंजो के अध्ययन को ही ज्योतिष कहा, समझा जाता है । इसका एक भाग तो ग्रहादि की स्थिति के गणितीय आंकलन से संबंध रखता है तथा दूसरा भाग उसके प्रभाव का अध्ययन करता है, विशेष कर मानव जीवन पर उनके क्या और कैसे प्रभाव हैं इसका अध्ययन करता है । ग्रहों की विभिन्न स्थितियों के आधार पर उनके प्रभावों को देख पाना ही इस कारण ज्योतिष कहा जाने लगा है । देखना अथवा अनुभव करना एक ही बात है ।
जीवन मे जीवन के पहलुओं को देख पाना बहुत ही महत्त्वपूर्ण हुआ करता है | दृष्टिकोण से रणनीति बनती है, रणनीति की क्रियांविति से ही सफलता की परिणिति होती है । दृष्टि हमे दूर तक देखने को बाध्य करती है दूरदृष्टि, रास्ता चुनने मे सहायक होती है । मनुष्य ने जब इसे जान लिया तब उसने दृष्टि को और अधिक व्यापक करना चाहा और ऐसा करना प्रारंभ भी कर दिया । कौन सा मार्ग सुगम है, कौनसा दुर्गम है यह उसके सम्पूर्ण अवलोकन से ही ज्ञात हुआ करता है । किस कार्य के लिये कौन सा मार्ग उचित है यह तो उनके पूर्ण दृष्टि पात से ही ज्ञात होगा । ज्योतिष इसमे बहुत सहायक सिद्ध होता है और हो सकेगा ।
ज्योतिष का अध्ययन बहुत दूरस्थ ग्रहों की स्थिति को जानना और उनके प्रभावों को समझने का है । गहन विषय है । इस कारण ज्योतिषशास्त्र ने अपने चक्ष्यु दिव्य करना प्रारंभ कर दिया । दूरबीन का अविष्कार हुआ । दूरदर्शी यंत्रों के माध्यम से हम ग्रहों को बहुत भलीभाँति देखने मे सक्षम हुए । उनके रहस्यो पर से परदे उठने लगे और वे अपने रहस्य हम को बताने मे फिर जरा भी नहीं हिचकिचाए । उन रहस्यों की जानकारी के साथ मनुष्य उनके द्वारा उत्सर्जित ऊर्जाओं के बारे मे भी जानने लग गया । उनकी प्रकृति को भी समझा । ब्रह्माण्ड के तरंग गति को और उसकी हमसे संगति को भी हम समझने मे सक्षम हो गए । एक दृष्टि ने नये दृष्टिकोण को जन्म दिया जिससे हमारे देखने की शक्ति और अधिक बढ़ गई । समझ और गहन हो गई।
हमारी यात्रा यहीं नहीं रुकी, हमने उत्कृष्ट दूरदर्शी यंत्रों के माध्यम से अनेक वेधशालाएं संसार के कोने कोने मे बिछा डाली, और ग्रहों और आकाशीय पिंडों का अध्ययन नई ऊंचाइयां छूने लग गया । दृष्टि हुई दिव्य तो कुछ सृष्टि की संरचना के बारे मे मानव जानने लग गया । अध्ययन मे बारीकी आने लग गई तो आवश्यकताएं भी बढ़ने लगी और विज्ञान का यह क्षेत्र बहुत तीव्र गति से अपना विस्तार करने लग गया । दृष्टि के भी नये आय़ाम खड़े हो गए । अभी तक जो दृष्टि मात्र प्रकाश की मोहताज हुआ करती थी उसने अपना विकास कर प्रकाश की सीमाएं लांग ली और अपनी दृष्टि को अंतःप्रज्ञा का स्वरूप दे दिया । हम मेग्नेटिक ऊर्जा के माध्यम से देखने लग गए । इससे कई बारीकियां मानव के ध्यान मे आई और उसकी दृष्टि अधिक व्यापक रूप धारण कर हमारे सामने खड़ी हो गई ।
सूर्य की ऊर्जाओं का अध्ययन प्रारंभ हो गया । उक्त चित्र जो आप देख रहे हैं यह सूर्य का चुम्बकीय चित्र है इसके माध्यम से सूर्य की लपटों एवं उसमे उठने वाले बवंडरों का अध्ययन होने लग गया । सूर्य मे उपस्थित काले धब्बों का रहस्य भी इनके माध्यम से खुल पाया । जहां सूर्य की ऊर्जा मे ह्रास हो रहा है वहां स्थानीय ताप भी घट रहा है तथा गैसें भी घनीभूत होने लग जातीं हैं वे विरल से कुछ ठोस रूप धारण कर लेती हैं इस कारण हमे वे काले धब्भे के रूप मे दिखाई देते हैं । सूर्य के इन काले धब्बों का स्थान घूमता रहता है, उनके घूमने के चक्र को भी हम जानने मे समर्थ हो पाए । चुंबकीय चित्रण के साथ साथ ध्वनि चित्रण भी प्रारंभ हो गया जिसका लाभ मानव ने आकाशीय घटनाओं से कहीं अधिक चिकित्सकीय कार्य मे उपयोग लिया ।
ध्वनि चित्रण के माध्यम से हम उन स्थानो को देख पाए जो किसी परत के अंदर आबद्ध हैं । ध्वनि की गति और तरंगों मे अवरोध के कारण जो परिवर्तन हुआ करता है उसीके माध्यम से ठोस और तरल पदार्थ की तरंगों मे भिन्नता दिखाई दी और बस मनुष्य को एक नया यंत्र मिल गया । इसके माध्यम से मनुष्य लोहे की परत की मोटाई भी नापने मे सक्षम हो गया । शरीर के अंदर उपज रही गाँठ का अध्ययन इसकी सहायता से आसानी से होने लग गया । यहां आप देख सक रहे हैं कि मनुष्य के गालब्लेडर मे उपजे पत्थरनुमा गांठ का स्पष्ट चित्र दिखाई दे रहा है जो कि उत्कृष्ट ध्वनि तरंगों के माध्यम से लिया गया है । इसके स्पष्ट दिखने के कारण इसका सफलता पूर्वक ओपरेशन किया जा सकता है ।
हर दृष्टि ने नयी दृष्टि को जन्म दिया और मानव अपने विकास पथ पर आगे बढ़ने मे सक्षम हो गया । दृष्टि से रणनीति तय होती है और फिर प्रारंभ होती है उसके समाधान की प्रक्रिया । यही दृष्टि का मानव जीवन मे महत्त्व है जिसे हमे समझना होगा ।
हमने जैसा कि पहले कहा है कि ज्योतिष भी एक दृष्टि है जिसके माध्यम से नये दृष्टिकोण का जन्म होता है । ज्योतिष के वैज्ञानिक और ग्रह गणित के विकास के साथ ही ज्योतिष को भी अपना उत्तरदायित्व गहन गम्भीरता से निभाना होगा । विज्ञान की हर खोज का सही सही आंकलन कर उससे ज्योतिषीय प्रभावो मे क्या गहराई लाई जा सकती है इस पर ज्योतिष और ज्योतिष के वेत्ताओं को ध्यान लगाना होगा, उसका सही सही अध्ययन करना होगा तथा उसकी दृष्टि को भी अधिक सक्षम और व्यापक करना होगा । तभी हम कह पाएंगे कि ज्योतिष अपनी अद्यतन दृष्टि के साथ अधिक परिपक्व होकर उभर रहा है ।